दुःख की शुरुआत
मुझे वहीं जाना होगा
जहाँ अपनों को छोड़ा था
जिन्हें अपना समझा
वे जा रहे हैं
सुख को जीने
मुझे छोड़कर
परंपरा जो बन चुकी है
उससे पता नहीं
कितनों के सुख बटेंगे
इतना तय है
दुःख कभी न बाँटे जाएँगे।
1 टिप्पणी:
Vinashaay sharma
ने कहा…
सही कहा,दुख तो कभी बाँटे ना जायगें ।
18 अक्तूबर 2009 को 12:26 pm बजे
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1 टिप्पणी:
सही कहा,दुख तो कभी बाँटे ना जायगें ।
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