स्मरण

जिन्होंने मुझे
जाना नहीं
उनके सहारे
जानने चले हो

भावमुक्त होकर
मेरी रचनाएं
जोर-जोर से
पढ़ते हो
कि तुम्हें भी
अपनी यश गाथा
सुनानी है
मेरे ही शब्दों में

और...
मेरे शब्द
हल्के होकर
गायब हो रहे है

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