हमारा हिस्सा

सुन रही हो न
मुन्नी की माँ !

ऊंची एवं अभेद्य दीवारों के पीछे
कहकहे लगाते आदमी के पास
जो भी फालतू है
दरअसल वह...
तुम्हारी छाती का हिस्सा है
हमारे गाल का हिस्सा है

हम-तुम खामख्वाह
समझे जा रहे थे
खेत हमें खाये जा रहा है
खलिहान चूसे जा रहा है


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