सफर में

सफर में
बगल बैठी
वह सोच रही है
अपने समय की
सच्चाई या
वह मजबूरी
जिसके चलते
मेरे पास की
सीट मिली थी

बीच-बीच में
सेलफोन पर
बतियाती
अपने होने को
बयां कर रही है
विस्तार से...

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