विरासत

जानता हूँ
तुम्हारे यहाँ
महफिलें नहीं सज रही
बचे हैं बस
टेंट के टूटे खंभे
फटे टाट और
कुछ कनस्तर

पता है
तुम कभी भी
घोषित कर सकते हो
इसे राष्ट्रीय विरासत

पट्टिकाओं पर
तुम होगे
तुम्हारे पुरखे भी
ठहाकों की चर्चा
सब चाव से सुनेंगे
पसीने की गंध
कहीं नहीं होगी

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