रक्त–बंध टूटता हुआ,
हर अपना छूटता हुआ।
शीत युद्ध कब तक,
जिंदा हैं दोनों जब तक।
अब एक को कोई मारे,
या निज ही उसे संहारे।
दूसरा तब राज करेगा,
कुछ ऐसा काज करेगा।
खंडहरों को भी ध्वस्त कर
अपना हिसाब करेगा।
हर अपना छूटता हुआ।
शीत युद्ध कब तक,
जिंदा हैं दोनों जब तक।
अब एक को कोई मारे,
या निज ही उसे संहारे।
दूसरा तब राज करेगा,
कुछ ऐसा काज करेगा।
खंडहरों को भी ध्वस्त कर
अपना हिसाब करेगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें