अक्षरछाया

उन्मुक्त

सोचता हूँ 
तोड़ दूं 
सारे धागे
हो लूं 
उन्मुक्त

डर  है
कहीं...
पा न लूं 
अबाध गति 
अनियंत्रित

at मार्च 27, 2011 कोई टिप्पणी नहीं:
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Labels: कविता, नरेन्द्र कुमार
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परिचय

अक्षरछाया हिंदी साहित्य को समझने की एक मामूली कोशिश है।
संपादन – नरेन्द्र कुमार
संपर्क :
ईमेल – narendrapatna@gmail.com
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