नई पहचान

कितने लोग
गोलियों से मारे गए
कितने हवाई हमलों से
कोई हिसाब नहीं
हमलावर ही गिन रहे हैं
हर नए हमलों के साथ
एक जनसमूह ख़त्म
जो ढूंढ रहा था
किसी खंडहर में आश्रय
चूल्हे सुलगा रहीं औरतें
जन्म दिन मना रहे बच्चे
निशाने बनते
हमलावरों के
और गिने जाते
आतंकियों में
मरने के बाद

स्कूल में

स्कूल में
स्वेटर बुनती हुई
शिक्षिका कह रही थी-
परिश्रम
सच्चे मन से होनी चाहिए

सह शिक्षक
बैठे
उंघ रहे थे