अधूरेपन की आवाज

किस्तों में रचो
अपना अधूरापन
किस्तों में ही
पाये तूने
सारे सुख और दुख
फिर रुके क्यूँ ?
किया क्यों इंकार ?
आवाज क्यों मंद पड़ी ?
क्या हुआ
जो रच न पाए
श्रेष्ठ महाकाव्य
मुक्तकों में अभी
जान बाकी है
अपनी ताकत समेट
फिर देख..!
छोटी पारियां भी
जिंदगी का रुख
बदल जाती हैं

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